SSC परीक्षा 2025 में तकनीकी खामियां: देशव्यापी छात्रों का विरोध, #SSCMismanagement ट्रेंड में
एसएससी सिलेक्शन पोस्ट फेज 13 परीक्षा 2025 में बड़े पैमाने पर तकनीकी खामियों के बाद देशभर में छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है। #SSCMismanagement सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है। जानें क्या हैं छात्रों की मुख्य मांगें और आयोग पर क्यों उठे सवाल।

नई दिल्ली: देश में सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे लाखों युवाओं के सपनों को एक बार फिर स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (SSC) की तकनीकी खामियों ने गहरा झटका दिया है। एसएससी सिलेक्शन पोस्ट फेज 13 परीक्षा 2025 में कथित तौर पर बड़े पैमाने पर तकनीकी दिक्कतों और कुप्रबंधन (mismanagement) के बाद देशभर में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। यह गुस्सा केवल सड़कों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सोशल मीडिया पर #SSCMismanagement और #JusticeForAspirants जैसे हैशटैग के साथ एक जन आंदोलन का रूप ले चुका है, जहां छात्र अपनी आपबीती साझा कर रहे हैं और न्याय की गुहार लगा रहे हैं।
यह परीक्षा 24 जुलाई से 1 अगस्त, 2025 के बीच आयोजित की गई थी। हालांकि, पहले दिन से ही छात्रों ने परीक्षा केंद्रों पर विभिन्न प्रकार की समस्याओं की शिकायतें करना शुरू कर दिया, जो धीरे-धीरे एक बड़े विवाद में बदल गईं। छात्रों का आरोप है कि ये समस्याएं परीक्षा आयोजित कराने वाली एजेंसी (vendor) की अक्षमता का सीधा परिणाम हैं, जिसे हाल ही में बदला गया था।
तकनीकी खामियों का विवरण और छात्रों की हताशा
एसएससी परीक्षा 2025 में सामने आई तकनीकी खामियां केवल छोटी-मोटी दिक्कतें नहीं थीं, बल्कि ये इतनी गंभीर थीं कि इन्होंने कई छात्रों को परीक्षा देने से वंचित कर दिया और उनके साल भर की मेहनत पर पानी फेर दिया। छात्रों द्वारा रिपोर्ट की गई कुछ प्रमुख समस्याएं निम्नलिखित हैं:
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अचानक परीक्षा रद्द होना: कई केंद्रों पर बिना किसी पूर्व सूचना के परीक्षा अचानक रद्द कर दी गई। छात्रों ने आरोप लगाया कि वे लंबी दूरी तय करके अपने परीक्षा केंद्र पर पहुंचे, लेकिन उन्हें अंतिम समय में बताया गया कि परीक्षा नहीं होगी। इससे उनका समय और पैसा दोनों बर्बाद हुआ।
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कंप्यूटर क्रैश और सर्वर डाउन: परीक्षा के दौरान कंप्यूटर अचानक क्रैश हो गए या सर्वर डाउन हो गया। इससे छात्रों का बहुमूल्य समय बर्बाद हुआ और वे अपने प्रश्नों को हल नहीं कर पाए। कई जगहों पर तो पूरा सिस्टम ही ठप हो गया।
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बायोमेट्रिक सिस्टम में खराबी: बायोमेट्रिक सिस्टम (biometric system) की खराबी के कारण छात्रों को परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने में घंटों इंतजार करना पड़ा। कुछ मामलों में तो बायोमेट्रिक डेटा मिलान न होने के कारण छात्रों को बाहर से ही वापस भेज दिया गया।
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कर्मचारियों का दुर्व्यवहार: छात्रों का आरोप है कि जब उन्होंने तकनीकी खामियों की शिकायत की, तो परीक्षा केंद्र के कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों ने उनके साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार और बदसलूकी की। सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हुए हैं जिनमें छात्रों को विरोध करते हुए और केंद्र पर हंगामा करते हुए देखा जा सकता है।
इन समस्याओं ने छात्रों में गहरी हताशा और आक्रोश पैदा कर दिया है। वे महसूस कर रहे हैं कि उनकी मेहनत, जो उन्होंने एक सरकारी नौकरी पाने के लिए की थी, एक अनुचित और दोषपूर्ण प्रणाली के कारण खतरे में है।
सोशल मीडिया पर जन आंदोलन: #SSCMismanagement
एसएससी परीक्षा में कुप्रबंधन (mismanagement) का गुस्सा सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा मुखर होकर सामने आया है। परीक्षा शुरू होने के बाद से ही #SSCMismanagement और #JusticeForAspirants जैसे हैशटैग लगातार ट्रेंड कर रहे हैं। इन हैशटैग के माध्यम से, छात्र अपनी समस्याओं के वीडियो, स्क्रीनशॉट और व्यक्तिगत अनुभव साझा कर रहे हैं।
यह डिजिटल आंदोलन ने छात्रों को एक साथ आने और अपनी आवाज को सरकार तक पहुंचाने का एक मंच प्रदान किया है। सोशल मीडिया पर वायरल हुई वीडियो में परीक्षा केंद्रों पर हंगामे, छात्रों के विरोध प्रदर्शन और अधिकारियों के साथ उनकी तीखी बहस को देखा जा सकता है। इन वीडियो ने न केवल छात्रों के बीच एकजुटता पैदा की है, बल्कि मुख्यधारा के मीडिया का ध्यान भी इस गंभीर मुद्दे पर आकर्षित किया है। यह डिजिटल दुनिया की शक्ति का एक उदाहरण है, जहां एक हैशटैग एक जन आंदोलन का रूप ले सकता है।
देशव्यापी विरोध प्रदर्शन और छात्रों की मांगें
सोशल मीडिया पर हंगामे के बाद, छात्रों ने सड़कों पर उतरकर भी विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। 'दिल्ली चलो' अभियान के तहत, बड़ी संख्या में छात्र और शिक्षक दिल्ली में जंतर मंतर (Jantar Mantar) और सीजीओ कॉम्प्लेक्स (CGO Complex) में इकट्ठा हुए।
विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों की मुख्य मांगें निम्नलिखित हैं:
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स्वतंत्र जांच की मांग: छात्रों ने एसएससी परीक्षाओं में हुई तकनीकी खामियों की एक स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। वे चाहते हैं कि इस जांच में यह पता लगाया जाए कि परीक्षा आयोजित करने वाले वेंडर ने इतनी बड़ी लापरवाही क्यों की।
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वेंडर का अनुबंध रद्द करना: छात्रों का आरोप है कि नया वेंडर परीक्षा का प्रबंधन ठीक से नहीं कर पा रहा है। वे मांग कर रहे हैं कि इस वेंडर का अनुबंध तुरंत रद्द किया जाए और भविष्य में परीक्षाओं के लिए एक सक्षम और विश्वसनीय एजेंसी को नियुक्त किया जाए।
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सिस्टम में सुधार: छात्रों ने भविष्य में भर्ती प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए एसएससी प्रणाली में व्यापक सुधारों की मांग की है।
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परीक्षा दोबारा कराने की मांग: कई छात्र, जिनकी परीक्षा तकनीकी खामियों के कारण बाधित हुई या रद्द हो गई, वे परीक्षा को दोबारा आयोजित कराने की मांग कर रहे हैं।
इस विरोध प्रदर्शन में छात्रों के साथ-साथ कई शिक्षकों और शिक्षाविदों ने भी समर्थन दिया है, जिससे यह आंदोलन और मजबूत हुआ है।
अतीत की समस्याएं और आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल
यह पहला मौका नहीं है जब एसएससी परीक्षाओं में ऐसी तकनीकी समस्याएं सामने आई हैं। अतीत में भी, एसएससी की परीक्षाओं में अनियमितताओं, पेपर लीक और तकनीकी खामियों की शिकायतें आती रही हैं। इन घटनाओं ने आयोग की विश्वसनीयता पर लगातार सवाल उठाए हैं।
एसएससी, जो केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में कर्मचारियों की भर्ती करता है, लाखों युवाओं के भविष्य का निर्धारण करता है। ऐसे में, यदि भर्ती प्रक्रिया ही दोषपूर्ण हो, तो यह न केवल छात्रों के लिए अन्याय है, बल्कि देश की प्रशासनिक प्रणाली के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय है। इन बार-बार होने वाली समस्याओं ने एसएससी की दक्षता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।