शेयर बाजार में ऐतिहासिक तेजी: निफ्टी और सेंसेक्स ने बनाया नया रिकॉर्ड, क्या यह तेजी टिकेगी?
भारतीय शेयर बाजार ने इतिहास रच दिया है। निफ्टी 50 ने 26,300 और सेंसेक्स ने 86,000 का आंकड़ा पार कर नया ऑल-टाइम हाई बनाया है। जानिए इस तूफानी तेजी के पीछे के 5 बड़े कारण और क्या निवेशकों को अब पैसा लगाना चाहिए या गिरावट का इंतजार करना चाहिए। (Indian stock market creates history. Nifty 50 crosses 26,300 and Sensex breaches 86,000 to hit fresh all-time highs. Know the 5 big reasons behind this rally and whether investors should invest now or wait for a correction.)
निफ्टी और सेंसेक्स ने तोड़े सारे रिकॉर्ड: जानिए बाजार में आई इस 'तूफानी तेजी' की असली वजह और आगे का रास्ता
भारतीय शेयर बाजार ने 14 महीने के लंबे इंतजार को खत्म करते हुए एक नया इतिहास रच दिया है। गुरुवार को निफ्टी 50 (Nifty 50) ने पहली बार 26,300 का स्तर पार किया, जबकि बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) ने 86,000 के जादुई आंकड़े को छू लिया। दलाल स्ट्रीट पर निवेशकों की संपत्ति में भारी इजाफा हुआ है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या यह तेजी टिकने वाली है या यह महज एक बुलबुला है?
आइए समझते हैं कि बाजार को इस ऊंचाई पर ले जाने वाले मुख्य कारण क्या हैं और विशेषज्ञों की इस पर क्या राय है।
1. ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद (Rate Cut Hopes)
बाजार की इस खुशी की सबसे बड़ी वजह अमेरिका और भारत में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Fed) और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा दिसंबर में ब्याज दरों में कटौती की संभावना ने निवेशकों का मनोबल बढ़ाया है। सस्ती ब्याज दरों का मतलब है कंपनियों के लिए कम लागत पर कर्ज और बाजार में अधिक तरलता (Liquidity)।
2. विदेशी निवेशकों (FIIs) की वापसी
लंबे समय तक बिकवाली करने के बाद, विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) एक बार फिर भारतीय बाजार में लौट आए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, FIIs ने हाल ही में भारतीय शेयरों में भारी खरीदारी की है। इसके साथ ही, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) का समर्थन भी बाजार को मजबूती दे रहा है। जब विदेशी और घरेलू दोनों निवेशक पैसा लगाते हैं, तो बाजार का ऊपर जाना तय होता है।
3. बैंकिंग और आईटी सेक्टर का दम
इस रैली का नेतृत्व मुख्य रूप से बैंकिंग (Banking) और आईटी (IT) सेक्टर कर रहे हैं। एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इंफोसिस और टीसीएस जैसे दिग्गजों ने सूचकांकों को ऊपर खींचने में अहम भूमिका निभाई है। इसके अलावा, पेंट और केमिकल सेक्टर के शेयरों में भी अच्छी खरीदारी देखी गई है।
4. वैश्विक संकेत और शांति की उम्मीद
रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति समझौते की संभावना और अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों में सुधार की उम्मीद ने भी वैश्विक बाजारों को राहत दी है। इसका सीधा सकारात्मक असर भारतीय बाजारों पर भी पड़ा है। कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता ने भी भारत जैसे तेल आयात करने वाले देश के लिए आर्थिक दृष्टिकोण को सुधारा है।
5. मजबूत घरेलू संकेत
घरेलू स्तर पर भी कई सकारात्मक खबरें आई हैं। हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 'रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट' (Rare Earth Permanent Magnets) के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ी योजना को मंजूरी दी है। इसके अलावा, त्योहारी सीजन में खपत बढ़ने और कंपनियों के बेहतर तिमाही नतीजों ने भी बाजार को गति दी है।
क्या यह तेजी टिकाऊ है? (Is this Rally Sustainable?)
विशेषज्ञों की राय इस पर मिली-जुली है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार का मानना है कि बाजार का ढांचा अब 'बुलिश' (Bullish) हो गया है, लेकिन मूल्यांकन (Valuations) अभी भी महंगे हैं। इसका मतलब है कि शेयर अपनी वास्तविक कीमत से महंगे मिल रहे हैं।
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सावधानी बरतें: बाजार में कभी भी मुनाफावसूली (Profit Booking) आ सकती है, जिससे गिरावट देखने को मिल सकती है।
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लंबी अवधि का नजरिया: अगर आप लंबी अवधि के निवेशक हैं, तो यह तेजी आपके लिए सकारात्मक संकेत है। भारत की आर्थिक वृद्धि दर (GDP Growth) मजबूत बनी हुई है, जो भविष्य में बाजार को और ऊपर ले जा सकती है।
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स्मॉलकैप और मिडकैप: विशेषज्ञों ने स्मॉलकैप और मिडकैप शेयरों में निवेश करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी है, क्योंकि इनमें अस्थिरता अधिक हो सकती है।
निष्कर्ष: बाजार अभी अपने चरम पर है। नए निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे एक साथ सारा पैसा लगाने के बजाय 'सिप' (SIP) या गिरावट पर खरीदारी (Buy on Dips) की रणनीति अपनाएं। बैंकिंग, आईटी और मैन्युफैक्चरिंग जैसे मजबूत फंडामेंटल वाले सेक्टरों पर ध्यान देना फायदेमंद हो सकता है।