अजंता-एलोरा में गाइड्स की कमी: ऑडियो गाइड सिस्टम की मांग तेज
छत्रपति संभाजीनगर में अजंता-एलोरा गुफाओं में पर्यटकों को गाइड्स की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। औरंगाबाद टूरिज्म डेवलपमेंट फाउंडेशन (ATDF) ने सरकार से स्मारकों पर ऑडियो गाइड सिस्टम शुरू करने की मांग की है। जानिए क्यों जरूरी है यह बदलाव।
छत्रपति संभाजीनगर: यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल अजंता और एलोरा की गुफाओं में पर्यटकों को गाइड्स की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए औरंगाबाद टूरिज्म डेवलपमेंट फाउंडेशन (ATDF) ने केंद्र और राज्य सरकार से इन स्मारकों पर तत्काल ऑडियो गाइड सिस्टम (Audio Guide Systems) शुरू करने की मांग की है।
ATDF ने भारत पर्यटन विकास निगम (ITDC), महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम (MTDC) और अन्य प्राधिकरणों को पत्र लिखकर चिंता जताई है कि गाइड्स की कमी से पर्यटकों का अनुभव खराब हो रहा है और टूर संचालन बाधित हो रहा है।
क्यों उठी ऑडियो गाइड की मांग?
ATDF के संस्थापक-अध्यक्ष जसवंत सिंह ने बताया कि कई प्रमाणित गाइड्स टूर ऑपरेटर्स के असाइनमेंट को मना कर रहे हैं और सीधे स्मारकों पर जाकर पर्यटकों को गाइड करना पसंद कर रहे हैं ताकि वे "त्वरित और अनियमित आय" कमा सकें। इससे संगठित पर्यटन प्रभावित हो रहा है और पर्यटकों में असंतोष बढ़ रहा है।
ऑडियो गाइड के फायदे:
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कमी की भरपाई: जब प्रमाणित गाइड उपलब्ध नहीं होंगे, तो उच्च गुणवत्ता वाले ऑडियो गाइड पर्यटकों को सही जानकारी दे सकेंगे।
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सटीक जानकारी: इससे यह सुनिश्चित होगा कि पर्यटकों को इतिहास और कला के बारे में सटीक और एकसमान जानकारी मिले।
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पर्यटक अनुभव: पर्यटकों को अपनी गति से स्मारकों को देखने और समझने की आजादी मिलेगी।
लाइसेंस रद्द करने की मांग
ATDF ने यह भी मांग की है कि जिन गाइड्स के पास अखिल भारतीय गाइड लाइसेंस (All-India Guide Licence) है लेकिन वे केवल एक स्मारक पर काम कर रहे हैं, उनके लाइसेंस की समीक्षा की जाए और यदि आवश्यक हो तो रद्द किया जाए। इसके बजाय, उन्हें स्मारक-विशिष्ट लाइसेंस दिए जाने चाहिए ताकि जवाबदेही तय की जा सके।
इतिहास विशेषज्ञ संकेत कुलकर्णी ने कहा कि मराठवाड़ा के लिए पर्यटन के महत्व को देखते हुए सरकार को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए। हालांकि, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिकारियों का कहना है कि इस पर निर्णय केंद्रीय प्राधिकरणों के हाथ में है।