ट्रंप के 100% टैरिफ का फार्मा कंपनियों पर खतरा: कौन सी कंपनियां सबसे असुरक्षित?
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं पर 100% टैरिफ लगाने के प्रस्ताव से भारतीय फार्मा सेक्टर में हड़कंप मच गया है। यह लेख बताता है कि सन फार्मा, सिप्ला, और डॉ. रेड्डीज जैसी कौन सी कंपनियां सबसे अधिक जोखिम में हैं और विशेषज्ञ इसके प्रभावों का आकलन कैसे कर रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं के आयात पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी ने भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों को गंभीर चिंता में डाल दिया है। हालांकि भारत का निर्यात मुख्य रूप से जेनेरिक दवाओं का है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह खतरा भविष्य में कॉम्प्लेक्स जेनेरिक्स और स्पेशियलिटी दवाओं तक भी फैल सकता है, जिससे भारतीय दवा कंपनियों के मुनाफे पर बड़ा असर पड़ेगा। भारतीय फार्मा निर्यात के लिए अमेरिका सबसे बड़ा बाजार है, जो कुल निर्यात का लगभग 35% हिस्सा है और इसका मूल्य वित्त वर्ष 2025 में लगभग $10 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। ट्रंप के इस बयान के बाद, सन फार्मा, सिप्ला (Cipla) और डॉ. रेड्डीज (Dr. Reddy's) जैसी प्रमुख कंपनियों के शेयरों में 5% तक की गिरावट दर्ज की गई।
कौन सी कंपनियां सबसे अधिक असुरक्षित?
विश्लेषकों की राय के अनुसार, यह टैरिफ भारतीय फार्मा कंपनियों को अलग-अलग स्तर पर प्रभावित करेगा, जो अमेरिका से उनके राजस्व पर निर्भरता पर निर्भर करता है:
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डॉ. रेड्डीज (Dr. Reddy's): यह कंपनी सबसे अधिक जोखिम में है, क्योंकि इसकी कमाई का लगभग 47% हिस्सा अमेरिकी बाजार से आता है। नोमुरा (Nomura) के अनुमान के मुताबिक, कंपनी का अधिकांश अमेरिकी कारोबार संभावित टैरिफ परिवर्तनों के प्रति असुरक्षित बना हुआ है।
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सन फार्मा (Sun Pharma): यह कंपनी भी काफी जोखिम में है, क्योंकि इसकी 37% कमाई अमेरिकी बाजार पर निर्भर करती है। इसकी मुख्य चिंता स्पेशियलिटी ब्रांडों को लेकर है, जो इसके राजस्व का 55-57% हिस्सा हैं और जिनका विनिर्माण भारत के बाहर होता है।
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सिप्ला (Cipla): सिप्ला अन्य कंपनियों की तुलना में कम असुरक्षित है, क्योंकि इसका लगभग 30% राजस्व ही अमेरिकी बाजार से जुड़ा है। कंपनी के पास अमेरिका में भी विनिर्माण सुविधाएं (जैसे इन्वाजेन) हैं, जो इसे कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान करती हैं।
आगे की राह क्या है?
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप द्वारा दी गई 'टैरिफ से छूट' की शर्त—कि जिन कंपनियों ने अमेरिका में विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने की शुरुआत की है, वे इस 100% शुल्क से बच सकती हैं—भारतीय कंपनियों के लिए एक संभावित समाधान हो सकता है। यह कंपनियों को अपनी आपूर्ति श्रृंखला को भारत से अमेरिका में स्थानांतरित करने के लिए मजबूर कर सकता है।
फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप का यह टैरिफ कदम केवल ब्रांडेड दवाओं तक ही सीमित रहेगा या भविष्य में यह जेनेरिक दवाओं को भी प्रभावित करेगा, जो भारत की निर्यात शक्ति का मुख्य आधार हैं। निवेशकों को इस राजनीतिक और व्यापारिक अनिश्चितता के बीच सतर्क रहने की सलाह दी गई है।