Income Tax Bill वापस लिया गया: लोकसभा से क्यों हटाया गया नया आयकर विधेयक?

केंद्र सरकार ने 'आयकर विधेयक, 2025' को लोकसभा से वापस ले लिया है। इस लेख में जानें सरकार ने यह कदम क्यों उठाया, संसदीय समिति की सिफारिशों का क्या महत्व है, और एक नया, संशोधित विधेयक कब और क्यों पेश किया जाएगा।

Aug 8, 2025 - 20:44
Aug 8, 2025 - 20:48
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Income Tax Bill वापस लिया गया: लोकसभा से क्यों हटाया गया नया आयकर विधेयक?
आयकर विधेयक 2025 वापस: एक कदम पीछे, दो कदम आगे

भारत की कर प्रणाली में सुधार और उसे आधुनिक बनाने के उद्देश्य से लाया गया 'आयकर विधेयक, 2025' केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा से वापस ले लिया गया है। यह फैसला कई लोगों के लिए आश्चर्यजनक हो सकता है, लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस कदम के पीछे की वजहों को स्पष्ट किया है। उनका कहना है कि इस विधेयक को इसलिए वापस लिया गया ताकि संसदीय समिति द्वारा दिए गए सुझावों को इसमें शामिल करके एक नया और संशोधित मसौदा पेश किया जा सके। यह कदम यह भी दर्शाता है कि सरकार विधायी प्रक्रिया में पारदर्शिता और सहयोग को कितना महत्व देती है। यह निर्णय सिर्फ एक तकनीकी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और प्रशासनिक संदेश भी देता है। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि जो कानून देश में लागू हो, वह न केवल आधुनिक हो, बल्कि उसमें सभी हितधारकों, विशेष रूप से संसद की समितियों की राय और सुझावों को भी उचित सम्मान मिले।

विधेयक वापस लेने का कारण: भ्रम से बचना

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बताया कि विधेयक को वापस लेने का मुख्य कारण भ्रम को रोकना था। उन्होंने कहा कि विधेयक को एक नए, संशोधित मसौदे के रूप में पेश किया जा रहा है जिसमें भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली प्रवर समिति (Select Committee) की सिफारिशों को शामिल किया गया है।

सीतारमण ने आगे बताया कि विधेयक में कई बदलाव करने की आवश्यकता थी, जैसे कि ड्राफ्टिंग में सुधार, वाक्यांशों का समायोजन, और क्रॉस-रेफरेंसिंग। सरकार ने प्रवर समिति की लगभग सभी सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। इसके अलावा, अन्य स्रोतों से मिले सुझावों को भी इसमें शामिल करना जरूरी था ताकि विधेयक का सही कानूनी अर्थ और उद्देश्य स्पष्ट हो सके।

यह कदम इस बात को सुनिश्चित करता है कि नया विधेयक पहले की तुलना में अधिक स्पष्ट और व्यापक होगा। अगर सरकार पुराने विधेयक में ही संशोधन करती, तो प्रक्रिया जटिल हो सकती थी और कई कानूनी अस्पष्टताएँ पैदा हो सकती थीं।

संसदीय समिति की भूमिका और उसकी सिफारिशें

भारतीय संसदीय प्रणाली में, प्रवर समितियाँ (Select Committees) विधेयकों की गहन जाँच करने और उनमें सुधार के लिए सुझाव देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली समिति ने 'आयकर विधेयक, 2025' का विस्तृत अध्ययन किया और कई महत्वपूर्ण सिफारिशें दीं। इन सिफारिशों का उद्देश्य विधेयक को और अधिक प्रभावी, न्यायपूर्ण और नागरिकों के अनुकूल बनाना था।

संसद की समिति में विभिन्न राजनीतिक दलों के सदस्य होते हैं, जो यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी विधेयक पर एक व्यापक दृष्टिकोण से विचार किया जाए। सरकार द्वारा इन सिफारिशों को स्वीकार करना न केवल समिति के काम का सम्मान है, बल्कि यह लोकतंत्र में विपक्ष की रचनात्मक भूमिका को भी स्वीकार करता है।

आयकर कानून में बदलाव की आवश्यकता

आयकर कानून, जो देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, को समय-समय पर बदलने की आवश्यकता होती है। पुराना आयकर कानून, 1961 का, कई दशकों पुराना है और इसमें कई संशोधन हो चुके हैं। इसके कारण कानून काफी जटिल और मुश्किल हो गया है। एक नया और सरल आयकर कानून लाने की मांग लंबे समय से की जा रही थी, ताकि करदाताओं के लिए कर भरना आसान हो सके और यह आधुनिक अर्थव्यवस्था की जरूरतों को पूरा कर सके।

नए विधेयक का उद्देश्य कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और करदाताओं के अनुकूल बनाना है। इसमें डिजिटल लेन-देन, स्टार्टअप्स और आधुनिक व्यापारिक मॉडलों को ध्यान में रखते हुए प्रावधान शामिल किए गए हैं।

निष्कर्ष: एक मजबूत और पारदर्शी कानून की उम्मीद

'आयकर विधेयक, 2025' का वापस लिया जाना एक अप्रत्याशित कदम हो सकता है, लेकिन यह एक सकारात्मक संदेश देता है। यह दिखाता है कि सरकार जल्दबाजी में कोई भी कानून पारित करने की बजाय, एक मजबूत, स्पष्ट और सभी की सहमति से बना हुआ कानून लाना चाहती है।

नए, संशोधित विधेयक में संसदीय समिति की सिफारिशों को शामिल करने से यह उम्मीद की जा सकती है कि यह कानून अधिक प्रभावी होगा और इसमें कमियाँ कम होंगी। यह करदाताओं को भी एक सरल और स्पष्ट कर प्रणाली का वादा करता है। सरकार का यह कदम यह भी दर्शाता है कि वह विधायी प्रक्रिया में संसद की समितियों की भूमिका को महत्व देती है, जो लोकतंत्र के लिए एक स्वस्थ संकेत है।