NCP विलय की अटकलें: सुनील तटकरे बोले 'अभी नहीं', BJP से होगी बात

महाराष्ट्र में NCP के दोनों गुटों के विलय की अटकलों के बीच, अजित पवार गुट के नेता सुनील तटकरे ने स्पष्ट किया कि 'फिलहाल' ऐसी कोई बातचीत नहीं चल रही है, लेकिन भविष्य में भाजपा आलाकमान से परामर्श किया जाएगा। जानें इस बयान के निहितार्थ और महाराष्ट्र की राजनीतिक गतिशीलता।

Jul 19, 2025 - 19:31
Jul 19, 2025 - 19:32
 0
NCP विलय की अटकलें: सुनील तटकरे बोले 'अभी नहीं', BJP से होगी बात
महाराष्ट्र की राजनीति में गर्माहट: NCP गुटों के विलय पर सुनील तटकरे का बड़ा बयान - 'अभी बातचीत नहीं, भविष्य में भाजपा आलाकमान से होगा परामर्श'

छत्रपति संभाजीनगर: महाराष्ट्र की राजनीति में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के दो गुटों के बीच संभावित विलय को लेकर चल रही अटकलों पर अजित पवार गुट के वरिष्ठ नेता और प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया है कि "फिलहाल, एनसीपी के दोनों गुटों (अजित पवार और शरद पवार गुट) के बीच किसी भी तरह के विलय की कोई बातचीत नहीं चल रही है।" हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि "यदि भविष्य में ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न होती है, तो हम निश्चित रूप से इस संबंध में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के शीर्ष नेतृत्व से परामर्श करेंगे।" तटकरे का यह बयान ऐसे समय आया है जब राज्य की राजनीति में दोनों गुटों के एक होने की संभावना को लेकर लगातार कयास लगाए जा रहे थे, जिससे राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छिड़ गई है।

महाराष्ट्र में राजनीतिक उथल-पुथल कोई नई बात नहीं है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यहां की राजनीति ने अप्रत्याशित मोड़ लिए हैं। शिवसेना के विभाजन के बाद, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी दो धड़ों में बंट गई, जिसने राज्य के राजनीतिक समीकरणों को पूरी तरह से बदल दिया। सुनील तटकरे का यह बयान अजित पवार गुट की वर्तमान स्थिति और भविष्य की रणनीति को लेकर महत्वपूर्ण संकेत देता है।

तटकरे का स्पष्टीकरण: 'अभी नहीं' का मतलब और 'भाजपा का परामर्श'

सुनील तटकरे के बयान का हर शब्द महाराष्ट्र की गठबंधन राजनीति के सूक्ष्म संतुलन को दर्शाता है। उनका "अभी तक (As of now)" शब्द यह बताता है कि भले ही वर्तमान में विलय की कोई चर्चा न हो, लेकिन भविष्य में ऐसी संभावनाओं से पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता। राजनीति में 'कभी नहीं' जैसा कुछ नहीं होता, और 'अभी तक नहीं' का मतलब अक्सर यह होता है कि परिस्थितियां बदलने पर फैसले भी बदल सकते हैं। यह बयान उन अटकलों को सीधे तौर पर खारिज करता है जो यह मान रही थीं कि दोनों गुट जल्द ही एक साथ आ सकते हैं।

सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा उनका यह कहना है कि "यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो हम निश्चित रूप से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से परामर्श करेंगे।" यह दर्शाता है कि अजित पवार के नेतृत्व वाला एनसीपी गुट, जो वर्तमान में भाजपा और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ 'महायुति' सरकार का हिस्सा है, अपने हर बड़े राजनीतिक कदम में अपने गठबंधन सहयोगियों, खासकर भाजपा के साथ तालमेल बिठाकर चलेगा। यह अजित पवार गुट की गठबंधन के प्रति प्रतिबद्धता और भाजपा के भीतर उनके भरोसे को भी रेखांकित करता है। यह स्पष्ट करता है कि अजित पवार गुट स्वतंत्र रूप से कोई बड़ा फैसला नहीं लेगा, बल्कि गठबंधन के बड़े भाई (भाजपा) की सहमति अनिवार्य होगी।

तटकरे ने अपने बयान में यह भी दोहराया कि उनका गुट ही "असली एनसीपी" है और वे महायुति गठबंधन के भीतर सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। यह उनकी पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर चल रहे कानूनी विवाद के संदर्भ में उनके दावे को मजबूत करने का एक प्रयास है।

एनसीपी में विभाजन की पृष्ठभूमि: एक संक्षिप्त राजनीतिक इतिहास

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का विभाजन महाराष्ट्र की राजनीति के सबसे नाटकीय अध्यायों में से एक रहा है। जुलाई 2023 में, अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी से अलग होकर भाजपा और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ हाथ मिला लिया। इस कदम ने राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को पूरी तरह से बदल दिया, जिससे 'महायुति' सरकार का गठन हुआ। अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली, और उनके साथ बड़ी संख्या में एनसीपी विधायक भी शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल हो गए।

इस विभाजन के बाद, शरद पवार ने अपनी पार्टी को बचाने और उसके कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के लिए अथक प्रयास किए। उन्होंने इस विभाजन को "पीठ में छुरा घोंपने" जैसा बताया। दोनों गुटों ने चुनाव आयोग और अदालतों में पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर अपना दावा ठोका, जो अभी भी विचाराधीन है। इस विभाजन ने न केवल पार्टी के भीतर, बल्कि महाराष्ट्र की समग्र राजनीतिक गतिशीलता में भी गहरी दरार पैदा कर दी है। एक गुट सत्ता में है, तो दूसरा महा विकास आघाड़ी (MVA) के तहत विपक्ष में है, जिसमें उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT) और कांग्रेस शामिल हैं

दोनों गुटों की वर्तमान स्थिति और भविष्य की चुनौतियाँ

अजित पवार गुट: यह गुट अब राज्य सरकार का अभिन्न अंग है। उनका मुख्य लक्ष्य अपनी राजनीतिक वैधता को मजबूत करना, पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावा बनाए रखना और आगामी चुनावों में अपने प्रदर्शन के माध्यम से अपनी स्थिति को मजबूत करना है। भाजपा के साथ गठबंधन उन्हें केंद्रीय सत्ता का समर्थन और संगठनात्मक ताकत प्रदान करता है। हालांकि, उन्हें अभी भी 'गद्दार' (देशद्रोही) के आरोपों और शरद पवार के भावनात्मक अपील का सामना करना पड़ता है।

शरद पवार गुट: शरद पवार, अपनी उम्र के बावजूद, पार्टी को फिर से खड़ा करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। उनका ध्यान मतदाताओं के बीच भावनात्मक जुड़ाव बनाए रखने, अपने गुट को 'असली' एनसीपी के रूप में प्रस्तुत करने और महा विकास आघाड़ी को मजबूत करने पर है। वे अजित पवार गुट के साथ किसी भी विलय की संभावना से इनकार करते रहे हैं, हालांकि परिवार के स्तर पर बातचीत की खबरें आती रही हैं। उनका लक्ष्य लोकसभा चुनाव में मिली सफलता को विधानसभा चुनाव में दोहराना है।