फडणवीस का बड़ा वादा: 2 साल में बनेंगी 1 करोड़ 'लखपति दीदी', लाडकी बहिन योजना भी रहेगी जारी
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मराठवाड़ा में एक रैली के दौरान बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने वादा किया कि अगले दो वर्षों में राज्य में 1 करोड़ महिलाओं को 'लखपति दीदी' बनाया जाएगा। साथ ही, उन्होंने 'लाडकी बहिन' योजना को बंद न करने का आश्वासन दिया और शहरी विकास के लिए केंद्र से मिले 50,000 करोड़ रुपये की जानकारी दी।
छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद): महाराष्ट्र की राजनीति में आगामी स्थानीय निकाय और विधानसभा चुनावों की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इस चुनावी माहौल में राज्य के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने महिला वोटरों को लुभाने के लिए एक बड़ा और महत्वाकांक्षी दांव चला है। मराठवाड़ा के दौरे पर पहुंचे फडणवीस ने गुरुवार को उदगीर, लोहा और हिंगोली में आयोजित रैलियों को संबोधित करते हुए घोषणा की कि उनकी सरकार अगले दो वर्षों के भीतर राज्य में 1 करोड़ 'लखपति दीदी' (Lakhpati Didis) बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
यह घोषणा न केवल महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि विपक्ष के उन आरोपों का भी करारा जवाब है जिसमें कहा जा रहा था कि चुनाव के बाद मौजूदा कल्याणकारी योजनाएं बंद हो सकती हैं।
'लाडकी बहिन' योजना पर बड़ा आश्वासन
फडणवीस ने अपनी रैलियों में स्पष्ट किया कि सरकार की बेहद लोकप्रिय 'मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना' (Ladki Bahin Scheme) किसी भी सूरत में बंद नहीं होगी। विपक्ष द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करते हुए उन्होंने कहा, "हम वो सरकार नहीं हैं जो सिर्फ 'लाडकी बहिन' योजना पर रुक जाए। इस योजना को जारी रखने के साथ-साथ, हम महिलाओं को आर्थिक रूप से और अधिक सशक्त बनाने की तैयारी कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा कि सरकार का विजन महिलाओं को केवल मासिक भत्ते तक सीमित रखना नहीं है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर उद्यमी बनाना है। "हमारा मिशन अगले दो साल में 1 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाना है, और इस लक्ष्य का आधा हिस्सा (50 लाख) हम इसी साल पूरा कर लेंगे," फडणवीस ने आत्मविश्वास के साथ कहा।
क्या है 'लखपति दीदी' योजना?
'लखपति दीदी' केंद्र सरकार की एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य स्वयं सहायता समूहों (SHGs) से जुड़ी महिलाओं को आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है। इस योजना के तहत, महिलाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण (Skill Development Training) दिया जाता है ताकि वे अपना खुद का सूक्ष्म उद्यम शुरू कर सकें और प्रति वर्ष कम से कम 1 लाख रुपये की आय अर्जित कर सकें।
फडणवीस के इस बयान से साफ है कि महायुति सरकार (Mahayuti Govt) ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की महिलाओं को अपने पक्ष में करने के लिए 'नारी शक्ति' पर पूरा जोर लगा रही है।
शहरी विकास के लिए ₹50,000 करोड़ का बूस्टर
केवल महिला कल्याण ही नहीं, फडणवीस ने राज्य के बुनियादी ढांचे के विकास पर भी बात की। उन्होंने घोषणा की कि केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र में शहरी बुनियादी ढांचे (Urban Infrastructure) को बदलने के लिए 50,000 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।
उन्होंने कहा, "केंद्र से राज्य तक विकास निधि की जो पाइपलाइन है, उसे अब स्थानीय निकायों तक बढ़ाया जाएगा। यही पाइपलाइन लोहा-कंधार तक भी पहुंचेगी। हम स्थानीय विकास को मजबूत करने के लिए धन की कोई कमी नहीं होने देंगे।" यह बयान आगामी नगर निगम और नगर परिषद चुनावों को ध्यान में रखते हुए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
स्वास्थ्य सुरक्षा का दायरा बढ़ा
जनता को राहत देने वाली एक और बड़ी घोषणा करते हुए फडणवीस ने बताया कि राज्य सरकार जल्द ही महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना के तहत कवरेज का विस्तार करेगी। अब इस योजना के तहत 9 गंभीर बीमारियों (Critical Illnesses) के इलाज के लिए 35 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। यह कदम राज्य के गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए एक संजीवनी साबित हो सकता है।
विपक्ष पर सधी हुई चुप्पी
मराठवाड़ा के दौरे पर एक दिलचस्प बात यह रही कि फडणवीस ने विपक्ष पर तीखे हमले करने से परहेज किया। हाल के दिनों में विपक्षी नेताओं द्वारा की गई कड़ी आलोचना के बावजूद, उन्होंने अपना पूरा भाषण सरकार की उपलब्धियों और भविष्य के रोडमैप पर केंद्रित रखा। लोहा (Loha) विधानसभा क्षेत्र में, जहां एनसीपी (अजित पवार गुट) और बीजेपी के बीच स्थानीय समीकरण जटिल हैं, वहां भी फडणवीस ने किसी विवाद में पड़ने के बजाय विकास की गारंटी पर बात की।
उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा, "2 दिसंबर को आप हमारा ख्याल रखें (वोट देकर), और अगले पांच साल हम आपका ख्याल रखेंगे।"
निष्कर्ष: महिला वोट बैंक पर नजर
देवेंद्र फडणवीस का यह दौरा और उनकी घोषणाएं स्पष्ट संकेत देती हैं कि आगामी चुनावों में 'महिला वोटर' गेम-चेंजर साबित होने वाली हैं। लाडकी बहिन योजना की सफलता के बाद, अब 'लखपति दीदी' का सपना दिखाकर बीजेपी और महायुति गठबंधन ने अपनी लकीर और लंबी कर दी है। अब देखना यह होगा कि विपक्ष इस 'वेलफेयर पॉलिटिक्स' (Welfare Politics) का काट कैसे ढूंढता है।