कामचटका भूकंप: दुनिया के 10 सबसे शक्तिशाली भूकंपों में शामिल
कामचटका में हाल ही में आए शक्तिशाली भूकंप को दुनिया के इतिहास के सबसे शक्तिशाली भूकंपों में से एक माना जा रहा है। जानें इस भूकंप और इतिहास के अन्य विनाशकारी महा-भूकंपों का विवरण, कारण और उनसे सीखे गए सबक।

नई दिल्ली: हाल ही में रूस के कामचटका प्रायद्वीप में आए एक शक्तिशाली भूकंप ने दुनिया भर के भूकंप विज्ञानियों और आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों का ध्यान खींचा है। यह भूकंप, जिसकी तीव्रता मोमेंट मैग्नीट्यूड स्केल पर 8.5 से अधिक दर्ज की गई है, को अब इतिहास के सबसे शक्तिशाली भूकंपों की सूची में शामिल किया गया है। इस घटना ने एक बार फिर से पृथ्वी की विनाशकारी शक्ति और भूकंपों के जोखिम के प्रति हमारी तैयारी की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
भूकंपीय गतिविधियों के मामले में भारत भी एक संवेदनशील क्षेत्र में स्थित है, और इसीलिए इन वैश्विक घटनाओं से सबक लेना हमारे लिए भी महत्वपूर्ण है। इस लेख में, हम कामचटका के नए भूकंप के साथ-साथ, इतिहास के उन महा-भूकंपों पर नजर डालेंगे जिन्होंने धरती के भूगोल और मानव सभ्यता को हमेशा के लिए बदल दिया।
भूकंप की शक्ति का विज्ञान: मोमेंट मैग्नीट्यूड स्केल
भूकंप की शक्ति को अक्सर रिक्टर स्केल (Richter Scale) से मापा जाता है, लेकिन वैज्ञानिक अब बड़े भूकंपों के लिए अधिक सटीक और व्यापक 'मोमेंट मैग्नीट्यूड स्केल' (Moment Magnitude Scale - Mw) का उपयोग करते हैं। यह स्केल भूकंप से निकलने वाली कुल ऊर्जा का आकलन करता है और इसे 0 से 10 तक के पैमाने पर व्यक्त किया जाता है। मोमेंट मैग्नीट्यूड स्केल पर 8 से अधिक की तीव्रता वाले भूकंप को 'महा-भूकंप' (Great Earthquake) माना जाता है, जो विनाशकारी हो सकते हैं।
इतिहास के सबसे शक्तिशाली महा-भूकंप
यहां दुनिया के कुछ सबसे शक्तिशाली भूकंपों का विवरण दिया गया है जिन्होंने पृथ्वी के इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ी है:
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चिली महा-भूकंप, 1960 (Magnitude 9.5 Mw): आज तक का सबसे शक्तिशाली भूकंप जो दर्ज किया गया है, वह 22 मई, 1960 को दक्षिणी चिली में आया था। इसकी तीव्रता 9.5 थी। इस भूकंप के कारण एक विशाल सुनामी आई जिसने चिली के तटीय इलाकों के साथ-साथ हवाई, जापान, फिलीपींस और अलास्का में भी तबाही मचाई थी। इस घटना से हजारों लोग मारे गए थे और लाखों लोग बेघर हो गए थे।
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अलास्का भूकंप, 1964 (Magnitude 9.2 Mw): गुड फ्राइडे के दिन 27 मार्च, 1964 को अलास्का में आए इस भूकंप की तीव्रता 9.2 थी। यह उत्तरी अमेरिका में दर्ज किया गया सबसे शक्तिशाली भूकंप है। इस भूकंप के कारण भूस्खलन और सुनामी आई थी, जिससे अलास्का और ब्रिटिश कोलंबिया के तटों पर भारी नुकसान हुआ था। इस घटना में लगभग 139 लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकांश सुनामी का शिकार हुए थे।
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सुमात्रा-अंडमान भूकंप, 2004 (Magnitude 9.1 Mw): 26 दिसंबर, 2004 को हिंद महासागर में आया यह भूकंप भारत सहित कई देशों के लिए एक बड़ी त्रासदी था। इसकी तीव्रता 9.1 थी, और इसने एक भयावह सुनामी को जन्म दिया जिसने भारत, श्रीलंका, इंडोनेशिया, थाईलैंड और कई अन्य देशों के तटीय क्षेत्रों में भारी तबाही मचाई। इस घटना में 2,30,000 से अधिक लोग मारे गए थे, जिससे यह इतिहास की सबसे घातक प्राकृतिक आपदाओं में से एक बन गया।
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तोहोकू भूकंप, जापान, 2011 (Magnitude 9.1 Mw): जापान के उत्तरपूर्वी तट पर 11 मार्च, 2011 को आए इस भूकंप की तीव्रता 9.1 थी। भूकंप के कारण 40 मीटर तक ऊंची सुनामी लहरें उठीं, जिसने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई। इस घटना से लगभग 18,000 लोगों की मौत हुई थी और फुकुशिमा दाइची परमाणु ऊर्जा संयंत्र में एक बड़ी दुर्घटना हुई, जिसके प्रभाव आज भी महसूस किए जा रहे हैं।
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कामचटका भूकंप, रूस, 1952 (Magnitude 9.0 Mw): 4 नवंबर, 1952 को रूस के कामचटका प्रायद्वीप में 9.0 तीव्रता का एक शक्तिशाली भूकंप आया था। इस भूकंप से भी प्रशांत महासागर में सुनामी आई, जिससे हवाई और पेरू जैसे दूरदराज के क्षेत्रों में भी नुकसान हुआ था।
कामचटका का नवीनतम झटका: एक नया अध्याय
हाल ही में रूस के कामचटका प्रायद्वीप में एक बार फिर एक शक्तिशाली भूकंप आया है, जिसकी तीव्रता 8.5 से अधिक बताई जा रही है। इस नए भूकंप ने भी दुनिया भर में अलर्ट जारी कर दिया है। प्रशांत रिंग ऑफ फायर (Pacific Ring of Fire) में स्थित कामचटका एक ऐसा क्षेत्र है जहां प्लेट टेक्टोनिक्स की गतिविधि बहुत अधिक होती है। यहां पैसिफिक प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे दब रही है, जिसे 'सबडक्शन जोन' कहते हैं, और यही इस क्षेत्र में भूकंपों का मुख्य कारण है।
वैज्ञानिकों ने इस भूकंप की गहराई और ऊर्जा का आकलन करना शुरू कर दिया है। यद्यपि प्रारंभिक रिपोर्टों में जान-माल के नुकसान का पूरा ब्यौरा नहीं है, लेकिन इसकी तीव्रता और स्थान को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि यह भूकंपीय इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ता है।
इन भूकंपों के विनाशकारी प्रभाव के कारण
किसी भी भूकंप का विनाशकारी प्रभाव केवल उसकी तीव्रता पर निर्भर नहीं करता, बल्कि कई अन्य कारकों पर भी निर्भर करता है:
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भूकंप की गहराई: उथले (shallow) भूकंप सतह के करीब होते हैं, जिससे वे अधिक क्षति पहुंचाते हैं। गहरे भूकंप की ऊर्जा पृथ्वी की सतह तक पहुंचते-पहुंचते बिखर जाती है।
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सुनामी: पानी के नीचे आए शक्तिशाली भूकंप अक्सर सुनामी को जन्म देते हैं। हिंद महासागर सुनामी (2004) और तोहोकू सुनामी (2011) इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। सुनामी भूकंप से भी अधिक विनाशकारी साबित हो सकती है।
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जनसंख्या घनत्व: घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भूकंप का असर अधिक होता है, क्योंकि इमारतों के गिरने से जान-माल का नुकसान बढ़ जाता है।
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भवन निर्माण गुणवत्ता: भूकंप प्रतिरोधी (earthquake-resistant) इमारतों की कमी भी विनाश को बढ़ाती है। जापान जैसे देशों में सख्त निर्माण कोड के कारण, 9.1 तीव्रता के भूकंप के बावजूद जान-माल का नुकसान कम हुआ, जबकि 2004 की सुनामी ने अधिक लोगों की जान ली, क्योंकि वहां की इमारतें भूकंप प्रतिरोधी नहीं थीं।