भारत में WhatsApp और Telegram के लिए नए नियम: 90 दिनों में करना होगा यह बदलाव

दूरसंचार विभाग (DoT) ने WhatsApp और Telegram जैसे मैसेजिंग ऐप्स को 'सिम बाइंडिंग' लागू करने के लिए 90 दिनों का अल्टीमेटम दिया है। अब ये ऐप्स सिम कार्ड के बिना काम नहीं करेंगे और वेब वर्जन से हर 6 घंटे में लॉग आउट करना होगा। जानिए नए नियमों का आम यूजर पर क्या असर होगा।

Dec 1, 2025 - 21:14
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भारत में WhatsApp और Telegram के लिए नए नियम: 90 दिनों में करना होगा यह बदलाव
WhatsApp और Telegram के लिए सरकार का अल्टीमेटम: 90 दिनों में बदलें सिस्टम, वरना भारत में बंद हो सकती है सेवा

नई दिल्ली: भारत सरकार ने साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और ऑनलाइन धोखाधड़ी (Cyber Fraud) पर लगाम लगाने के लिए एक बड़ा और सख्त कदम उठाया है। दूरसंचार विभाग (DoT) ने WhatsApp, Telegram, Signal, और Snapchat जैसे सभी प्रमुख मैसेजिंग ऐप्स को कड़ी चेतावनी जारी की है। सरकार ने इन प्लेटफॉर्म्स को 90 दिनों का समय दिया है ताकि वे अपनी तकनीकी प्रणाली में बदलाव कर सकें और 'सिम बाइंडिंग' (SIM Binding) को अनिवार्य बना सकें।

यह नया नियम फरवरी 2026 से प्रभावी होगा। इसका सीधा मतलब है कि अब कोई भी यूजर इन ऐप्स का इस्तेमाल तब तक नहीं कर पाएगा, जब तक कि जिस सिम कार्ड से उसने रजिस्टर किया है, वह उस डिवाइस में मौजूद और सक्रिय न हो।

क्या है 'सिम बाइंडिंग' और यह कैसे काम करेगा?

वर्तमान में, आप एक बार मोबाइल नंबर सत्यापित करके WhatsApp या Telegram का उपयोग कर सकते हैं, भले ही आप बाद में सिम कार्ड निकाल दें या उसे किसी और फोन में डाल दें। साइबर अपराधी इसी खामी का फायदा उठाते हैं। वे सिम कार्ड निकाल देते हैं या डीएक्टिवेट कर देते हैं, लेकिन ऐप के जरिए ठगी जारी रखते हैं।

नए नियमों के तहत:

  • निरंतर सत्यापन: ऐप्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि जिस सिम से खाता बना है, वह डिवाइस में मौजूद है।

  • एक्सेस ब्लॉक: यदि सिम कार्ड निकाला जाता है, बदला जाता है या निष्क्रिय हो जाता है, तो ऐप तुरंत काम करना बंद कर देगा।

यह कदम टेलीकम्युनिकेशन साइबर सिक्योरिटी एमेंडमेंट रूल्स 2025 के तहत उठाया गया है, जिसने इन ऐप्स को 'टेलीकम्युनिकेशन आइडेंटिफायर यूजर एंटिटी' (TIUE) के रूप में वर्गीकृत किया है। इसका मतलब है कि अब ये ऐप्स भी पारंपरिक दूरसंचार ऑपरेटरों की तरह सख्त निगरानी के दायरे में आएंगे।

वेब वर्जन के लिए '6 घंटे' का नियम

सरकार ने न केवल मोबाइल ऐप्स बल्कि डेस्कटॉप और वेब वर्जन (जैसे WhatsApp Web) के लिए भी सख्त नियम बनाए हैं। नए आदेश के अनुसार:

  • ऑटो-लॉगआउट: वेब वर्जन पर काम करने वाले यूजर्स को हर 6 घंटे में ऑटोमैटिकली लॉग आउट कर दिया जाएगा।

  • पुनः प्रमाणीकरण: दोबारा लॉग इन करने के लिए यूजर्स को अपने मोबाइल से QR कोड स्कैन करके फिर से ऑथेंटिकेशन (Authentication) करना होगा।

यह नियम उन दफ्तरों और पेशेवरों के लिए थोड़ी असुविधा पैदा कर सकता है जो दिन भर डेस्कटॉप पर मैसेजिंग ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन सुरक्षा के लिहाज से इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

क्यों पड़ी इसकी जरूरत?

सरकार का तर्क है कि भारत के बाहर बैठे अपराधी इस तकनीकी खामी का फायदा उठाकर भारतीय नागरिकों के साथ साइबर ठगी, प्रतिरूपण (Impersonation) और स्पैमिंग कर रहे हैं। चूंकि ऐप सिम कार्ड से स्वतंत्र रूप से काम करता है, इसलिए अपराधियों को ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है।

सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI), जिसमें Jio, Airtel और Vi शामिल हैं, ने इस कदम का स्वागत किया है। उनका कहना है कि सिम बाइंडिंग से राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होगी और धोखाधड़ी के मामलों में कमी आएगी।

आम यूजर्स और यात्रियों के लिए चुनौतियां

हालांकि यह कदम सुरक्षा के लिए है, लेकिन इससे आम उपयोगकर्ताओं के लिए कुछ मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं:

  1. अंतर्राष्ट्रीय यात्री: वे लोग जो विदेश यात्रा के दौरान स्थानीय सिम कार्ड का उपयोग करते हैं, वे अपना भारतीय WhatsApp नंबर इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे, जब तक कि वे उसे रोमिंग पर एक्टिव न रखें।

  2. मल्टी-डिवाइस यूजर्स: जो लोग टैबलेट या सेकेंडरी फोन पर वाई-फाई के जरिए मैसेजिंग ऐप्स चलाते हैं, उन्हें लगातार सिम वेरिफिकेशन की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

  3. सुविधा बनाम सुरक्षा: बार-बार लॉग इन करना और सिम कार्ड को फोन में ही रखना कई यूजर्स के लिए झुंझलाहट का कारण बन सकता है।

कंपनियों की प्रतिक्रिया और भविष्य

मेटा (Meta) और अन्य डिजिटल कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठनों ने इसे "अत्यधिक विनियमन" (Overreach) बताया है। उनका तर्क है कि इससे इनोवेशन प्रभावित होगा और तकनीकी रूप से इसे लागू करना एक बड़ी चुनौती होगी, खासकर भारत जैसे विशाल यूजर बेस वाले देश में।

अब देखना यह होगा कि WhatsApp और Telegram जैसी दिग्गज कंपनियां 90 दिनों की इस समय सीमा के भीतर अपने सिस्टम को कैसे बदलती हैं और क्या वे सरकार के साथ किसी बीच के रास्ते पर सहमत हो पाती हैं या नहीं। लेकिन एक बात तय है—भारत में मैसेजिंग का तरीका हमेशा के लिए बदलने वाला है।