संभाजीनगर में डॉ. आंबेडकर का 9 साल पुराना आवास, अंतरराष्ट्रीय स्मारक बनाने की मांग

छत्रपति संभाजीनगर (औरंगाबाद) के कैंटोनमेंट क्षेत्र में स्थित उन बंगलों को अंतरराष्ट्रीय स्मारक में बदलने की मांग तेज हो गई है, जहाँ डॉ. बी.आर. आंबेडकर ने नौ वर्षों तक निवास किया था। यह लेख उस 32 एकड़ की भूमि पर प्रस्तावित पुस्तकालयों और अनुसंधान केंद्रों के विकास की योजना पर केंद्रित है। (A demand has intensified to convert the bungalows in Chhatrapati Sambhajinagar (Aurangabad) where Dr. B.R. Ambedkar lived for nine years into an international memorial. This article focuses on the plan to develop the 32-acre land with libraries and research centers.)

Nov 19, 2025 - 19:12
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संभाजीनगर में डॉ. आंबेडकर का 9 साल पुराना आवास, अंतरराष्ट्रीय स्मारक बनाने की मांग
छत्रपति संभाजीनगर: डॉ. आंबेडकर के 9 साल पुराने निवास को अंतरराष्ट्रीय स्मारक बनाने की मांग

छत्रपति संभाजीनगर: भारतीय संविधान के वास्तुकार डॉ. बी.आर. आंबेडकर के अनुयायियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राज्य और केंद्र सरकार से एक महत्वपूर्ण मांग की है। यह मांग शहर के कैंटोनमेंट क्षेत्र में स्थित उन बंगलों को एक अंतरराष्ट्रीय स्मारक (International Memorial) में बदलने की है, जहाँ डॉ. आंबेडकर लगभग नौ वर्षों तक रहे थे। कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह स्थान 'पीपल्स एजुकेशन सोसाइटी' के संस्थापक वर्षों का साक्षी है, और इसलिए इसका संरक्षण अत्यंत आवश्यक है।

कार्यकर्ताओं ने इन बंगलों के चारों ओर की 32 एकड़ भूमि को विकसित करने की विस्तृत योजना प्रस्तुत की है। इस योजना में एक बहुमंजिला स्मारक परिसर बनाने का प्रस्ताव है।

प्रस्तावित स्मारक की विशेषताएं

यह प्रस्तावित स्मारक केवल एक संग्रहालय नहीं होगा, बल्कि ज्ञान और प्रेरणा का एक केंद्र बनेगा। अनुभवी लेखक ऋषिकेश कांबले, जिन्होंने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिलकर इस मांग पर जोर दिया, ने कहा कि इस परिसर में निम्नलिखित सुविधाएं होनी चाहिए:

  • अंतरराष्ट्रीय पुस्तकालय: एक विश्व स्तरीय पुस्तकालय स्थापित किया जाए।

  • अनुसंधान केंद्र: आंबेडकर के दर्शन और कार्यों पर शोध के लिए कई अनुसंधान केंद्र बनाए जाएं।

  • विशाल उद्यान: इसे राष्ट्रपति भवन के उद्यान की तर्ज पर एक विशाल और सुंदर उद्यान के रूप में विकसित किया जाए।

कार्यकर्ताओं का तर्क है कि डॉ. आंबेडकर ने इन बंगलों को तब अपना घर बनाया था जब वह पीपल्स एजुकेशन सोसाइटी की नींव रख रहे थे, जिसका आज मराठवाड़ा के शैक्षिक परिदृश्य पर गहरा प्रभाव है।

विरोध और राजनीतिक समर्थन

कार्यकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि महाराष्ट्र सरकार ने पहले ही लंदन में उस घर को भारी कीमत पर खरीदा है, जहाँ डॉ. आंबेडकर छात्र जीवन के दौरान रहे थे, और उसे एक संग्रहालय में बदल दिया है। उनका कहना है कि अगर लंदन में ऐसा हो सकता है, तो भारत में उनके निवास को भी उसी तर्ज पर विकसित किया जाना चाहिए।

पूर्व नगरसेवक विजय निकाळजे ने कहा कि केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी हाल ही में इस बंगले का दौरा किया था और कहा था कि आंबेडकर के नाम पर कैंटोनमेंट क्षेत्र में एक उचित स्मारक स्थापित किया जाना चाहिए।

कार्यकर्ताओं ने अब सरकार से इस परियोजना पर तुरंत कार्रवाई करने का आग्रह किया है, ताकि भावी पीढ़ियाँ बाबासाहेब के विरासत और बलिदान से प्रेरणा ले सकें।