मराठवाड़ा में बारिश का कहर: 1 की मौत, 2300 लोग निकाले गए
मराठवाड़ा में भारी बारिश ने तबाही मचा दी है, जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई और 2,300 से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। यह लेख बीड़, नांदेड और लातूर में बाढ़ की स्थिति, बचाव कार्यों और किसानों को हुए भारी नुकसान पर आधारित है।

मराठवाड़ा क्षेत्र में पिछले 24 घंटों से जारी मूसलाधार बारिश ने एक बार फिर तबाही मचा दी है। इस प्राकृतिक आपदा के कारण बीड़ जिले में एक व्यक्ति की जान चली गई, जबकि 2,300 से अधिक लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। इस दौरान, कई सड़कें जलमग्न हो गईं और 19 से अधिक ट्रेनें रद्द करनी पड़ीं, जिससे पूरा जनजीवन थम सा गया है।
बीड़ जिले में, एक दुखद घटना में 42 वर्षीय नितिन कांबले की मौत हो गई। उनकी कार धारूर तालुका में वान नदी पर बने एक पुल को पार करते समय पानी के तेज बहाव में बह गई। उनका शव एक पुल के पास मिला, जबकि एक अन्य ऑटोरिक्शा चालक अभी भी लापता है। इस घटना ने एक बार फिर बारिश के दौरान उफनते पुलों को पार करने के खतरों को उजागर किया है।
नांदेड और लातूर जैसे जिले भी इस बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। नांदेड के देगलूर और नायगांव तालुका में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारियों के अनुसार, इन क्षेत्रों से 2,300 से अधिक लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है। नायगांव तालुका के कोलंबी गांव में तो एक बस में 18 छात्रों सहित 20 लोग बाढ़ के पानी में फंस गए थे, जिन्हें बाद में सुरक्षित बचा लिया गया।
लातूर जिले में भी स्थिति कम गंभीर नहीं है। लगभग 49 सड़कें जलस्तर बढ़ने के कारण बंद हो गई हैं, जिससे आवाजाही पूरी तरह से रुक गई है। शिरुर अनंतपाल तालुका में भी फंसे हुए लोगों को निकालने का काम जारी है।
बारिश का यह कहर सिर्फ जीवन और संपत्ति तक सीमित नहीं है। मराठवाड़ा में लगभग 3.6 लाख हेक्टेयर में खड़ी फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं। सोयाबीन और अरहर जैसी प्रमुख फसलें पानी में डूब गई हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। यह पिछले साल की आपदा के बाद एक और बड़ा झटका है, जिससे किसान बुरी तरह प्रभावित हैं।
रेलवे सेवा भी इस बारिश से प्रभावित हुई है। दक्षिण मध्य रेलवे के नांदेड और हैदराबाद डिवीजनों में 19 से अधिक ट्रेनों को रद्द करना पड़ा है, जिसमें जालाना-नागरसोल और जालाना-नांदेड मार्ग शामिल हैं।
यह आपदा महाराष्ट्र के लिए एक बड़ी चुनौती है। मराठवाड़ा में जून से अब तक 104% अधिक बारिश दर्ज की गई है, जिससे एक तरफ भूजल स्तर में सुधार हुआ है, लेकिन दूसरी तरफ बाढ़ का खतरा बढ़ गया है।