'ऑपरेशन सिंदूर' पर सियासी बवाल: शिवराज चौहान बोले- कांग्रेस बोल रही पाकिस्तान की भाषा!

'ऑपरेशन सिंदूर' पर संसद में चर्चा को लेकर सियासी पारा चढ़ गया है। भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है, आरोप लगाया है कि कांग्रेस पाकिस्तान या देश के दुश्मनों की भाषा बोल रही है। उन्होंने पी. चिदंबरम के 'सबूत मांगने' वाले बयान पर सवाल उठाए। जानें Lok Sabha में हंगामे और इस गंभीर आरोप-प्रत्यारोप की पूरी कहानी। Operation Sindoor, Shivraj Chouhan, Congress, Pakistan Language.

Jul 28, 2025 - 22:34
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'ऑपरेशन सिंदूर' पर सियासी बवाल: शिवराज चौहान बोले- कांग्रेस बोल रही पाकिस्तान की भाषा!
संसद में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर सियासी तूफान: शिवराज सिंह चौहान का कांग्रेस पर तीखा हमला, बोले - 'बोल रहे पाकिस्तान की भाषा'

नई दिल्ली, भारत: भारतीय राजनीति में 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर चल रही बहस अब एक नए और तीखे मोड़ पर आ गई है। इस मुद्दे पर संसद में चर्चा के दौरान हुए हंगामे के बाद, भाजपा के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने सीधे तौर पर आरोप लगाया है कि कांग्रेस इस 'ऑपरेशन सिंदूर' के मसले पर वही भाषा बोल रही है, जो पाकिस्तान या देश के दुश्मनों की होती है। उनके इस बयान ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इस कथित 'ऑपरेशन' पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप को और गहरा कर दिया है।

चौहान का सीधा हमला: 'पाकिस्तान की भाषा' वाला आरोप

शिवराज सिंह चौहान ने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर कांग्रेस की स्थिति की कड़ी आलोचना की। उन्होंने विशेष रूप से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम का नाम लेते हुए कहा कि चिदंबरम इस मुद्दे पर सबूत मांग रहे हैं कि 'पाकिस्तान का हाथ कहां तक है'। चौहान ने इस मांग को सीधे पाकिस्तान के नैरेटिव से जोड़ते हुए कहा, "यह वही भाषा है जो पाकिस्तान बोल रहा है।" उनका इशारा इस बात की ओर था कि जब देश की सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मामलों पर सवाल उठाए जाते हैं, तो वे अक्सर विरोधी देशों के बयानों से मेल खाते दिखते हैं।

चौहान ने आगे सवाल उठाया कि आखिर 'ऑपरेशन सिंदूर' पर संसद में चर्चा क्यों नहीं होनी चाहिए और इस मुद्दे से 'चेहरे से नकाब क्यों नहीं हटना चाहिए'? उन्होंने विपक्ष की बहस से 'भागने' की प्रवृत्ति पर भी सवाल उठाए, यह कहते हुए कि पूरा देश देख रहा है कि विपक्ष चर्चा करके सदन से भागता है और ऐसी भाषा का प्रयोग करता है जो देश के दुश्मनों की होती है। शिवराज सिंह चौहान के अनुसार, इस पूरे प्रकरण में "संपूर्ण विपक्ष के चेहरे से नकाब उतर चुका है," जिसका अर्थ है कि उनकी वास्तविक मंशा और देश के प्रति उनका रुख अब स्पष्ट हो गया है।

संसदीय गतिरोध और राजनीतिक बयानबाजी का संदर्भ

यह राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तब शुरू हुआ जब लोकसभा में 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा निर्धारित थी, लेकिन विपक्ष के लगातार हंगामे और व्यवधान के कारण सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। ऐसी स्थिति में, संसदीय बहस की बजाय राजनीतिक बयानबाजी और मीडिया के माध्यम से आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। शिवराज सिंह चौहान ने संसद के बाहर पत्रकारों से बातचीत में विपक्षी दलों, विशेषकर कांग्रेस, पर जमकर हमला बोला।

संसद में महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा का न होना और उसके बजाय राजनीतिक खींचतान का बढ़ना भारतीय संसदीय प्रक्रिया के लिए चिंता का विषय है। 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसा मुद्दा, जिसमें रक्षा, गृह और विदेश मंत्रियों की भागीदारी की उम्मीद थी, यह दर्शाता है कि यह देश की सुरक्षा और नीतिगत पहलुओं से जुड़ा एक गंभीर विषय है। विपक्ष की ओर से लगातार चर्चा की मांग के बावजूद, सदन में हंगामे के कारण बहस न हो पाना, राजनीतिक दलों के बीच सामंजस्य की कमी को उजागर करता है।

'ऑपरेशन सिंदूर' और इसके राजनीतिक निहितार्थ

हालांकि, 'ऑपरेशन सिंदूर' की सटीक प्रकृति या इसके विवरण के बारे में सार्वजनिक रूप से अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन भाजपा नेताओं द्वारा इसे राष्ट्रीय सुरक्षा और देश के दुश्मनों से जोड़ने का प्रयास इसे एक अत्यधिक संवेदनशील मुद्दा बना देता है। इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप अक्सर राष्ट्रीय भावनाओं को भुनाने और विपक्षी दलों को 'देश-विरोधी' या 'राष्ट्र-हित' के खिलाफ खड़े होने के रूप में चित्रित करने के लिए किए जाते हैं।

यह बहस आगामी चुनावों से पहले भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रवाद के मुद्दे भारतीय मतदाताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। भाजपा अक्सर इन मुद्दों पर एक मजबूत और निर्णायक रुख अपनाने का दावा करती रही है, जबकि विपक्ष पर सुरक्षा मामलों में कमजोरी या सेना पर सवाल उठाने का आरोप लगाती रही है। 'ऑपरेशन सिंदूर' पर यह विवाद इसी राजनीतिक नैरेटिव का हिस्सा बनता दिख रहा है।

आगे की राह: संसद में चर्चा या राजनीतिक आरोप?

संसद, किसी भी लोकतंत्र में, महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस और समाधान खोजने का मंच होती है। 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे संवेदनशील विषय पर विस्तृत और गंभीर चर्चा की आवश्यकता है ताकि जनता को वास्तविक स्थिति का पता चल सके और सरकार अपनी नीतियों पर स्पष्टीकरण दे सके। हालांकि, जिस तरह से यह मुद्दा राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का केंद्र बन गया है, वह इसकी गंभीरता को कम कर सकता है और इसे एक चुनावी हथियार बना सकता है।

अब यह देखना होगा कि क्या विपक्ष और सत्ता पक्ष इस मुद्दे पर सार्थक बहस के लिए कोई रास्ता खोज पाते हैं, या राजनीतिक खींचतान ही हावी रहती है। शिवराज सिंह चौहान का बयान स्पष्ट रूप से कांग्रेस पर दबाव बनाने और उसे राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कटघरे में खड़ा करने का एक प्रयास है। आने वाले समय में, यह विवाद भारतीय राजनीति में और अधिक गर्मी ला सकता है, और इस 'ऑपरेशन' के पीछे की वास्तविक कहानी और इसके प्रभावों पर राजनीतिक बहस जारी रहने की संभावना है।